फ्लैट खरीदारों के लिए खुशखबरी! अब पूरे होंगे प्रोजेक्ट, दिवालिया प्रक्रिया में जाने पर लगेगा ब्रेक

  • 10 months ago
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 नोएडा के बिल्डरों ने अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी के आधार पर आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया है। अब वे दिवालिया प्रक्रिया में जाने की प्लानिंग करने के बजाय फंड की व्यवस्था करने और प्रॉजेक्ट को पूरा करने का प्रयास करेंगे। इससे बायर्स को भी लाभ मिलेगा। पॉलिसी के आने से दिवालिया में जाने से प्रॉजेक्ट रुक जाएंगे।

हाइलाइट्स

  • अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी के बाद बढ़ी हलचल
  • पॉलिसी के आने से अब रियल एस्टेट मार्केट का माहौल बदलना शुरू होगा
  • बिल्डर अब अपने प्रोजेक्ट को रिवाइव करने का का पूरा प्रयास करेंगे


अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद, नोएडा के रियल एस्टेट मार्केट में बड़ा बदलाव आया है। बिल्डरों ने इसे बड़े उत्साह से स्वागत किया है और अपने प्रोजेक्ट्स को फिर से चालू कर दिया है। उन्होंने इस पॉलिसी के प्रावधानों के अनुसार अपनी आर्थिक स्थिति का विश्लेषण शुरू किया है। पॉलिसी के लागू होने पर हर बिल्डर को उसकी स्थिति और बकाया के आधार पर लाभ मिलेगा, लेकिन अब उन्हें अपनी खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने और उन्हें पूरा करने का प्रयास करना है, बजाय दिवालिया प्रक्रिया में जाने की। इससे सीधा बायर्स को ही फायदा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पॉलिसी के आने से रियल एस्टेट मार्केट में बड़ा परिवर्तन आएगा और सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

सबसे ज्यादा प्रॉजेक्ट दिवालिया में गए


सबसे पहले आम्रपाली ने 2017 से रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट दिवालिया में जाने की शुरुआत की थी। उसके बाद जेपी, यूनिटेक, और अन्य कंपनियों ने भी इसी तरह के मुद्दों का सामना किया, लेकिन पिछले कुछ सालों में कई बिल्डर कंपनियों के प्रॉजेक्ट दिवालिया में चले गए हैं। वर्तमान में, नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में 46 प्रॉजेक्ट्स दिवालिया प्रक्रिया में हैं, जिन पर अब विराम लगाया जाएगा। प्रतीक ग्रुप के एमडी प्रदीप तिवारी का कहना है कि इस पॉलिसी से बिल्डरों की साहस बढ़ेगा और उन्हें अब अपनी आर्थिक स्थिति के चलते उबारने की बजाय, प्रॉजेक्ट को पूरा करने और अनसोल्ड फ्लैट्स को बेचकर मुनाफा कमाने की सोचनी चाहिए। यह पॉलिसी संभावना है कि दिवालिया में प्रॉजेक्टों को रोक देने की दिशा में बदलाव आ सकता है।

बिल्डर को मिलेगा पॉलिसी का लाभ


काउंटी ग्रुप के निदेशक और बिल्डरों की संस्था क्रेडाई के उपाध्यक्ष अमित मोदी ने बताया है कि कोविड जीरो पीरियड के दौरान दो साल के ब्याज माफ़ी, तीन साल का मुफ्त टाइम एक्सटेंशन, और लगभग 22 महीने के एनजीटी के आदेश के दौरान रुके हुए समय के ब्याज माफ़ी जैसे लाभों का उपयोग तब ही किया जा सकेगा जब बिल्डर अथॉरिटी को 25 प्रतिशत जमा करेगा। 25 प्रतिशत जमा करने पर ही रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू होगी और साथ ही बिल्डर को काम शुरू करने की अनुमति मिलेगी। लेकिन हजारों करोड़ रुपये के बकाए बिल्डर इस शर्त को पूरा करने में कितने सक्षम होंगे, यह एक बड़ी चुनौती है। इसलिए, पॉलिसी लागू होने के बाद यह कहना अब अब आवश्यक नहीं है कि इसके लिए कितने बिल्डर आवेदन करेंगे। अनुमान है कि प्राथमिकता से 30-40 प्रॉजेक्ट्स के आवेदन त्वरितता से आने की संभावना है, और इनमें काम भी शीघ्रता से शुरू हो सकता है।

    मार्केट रेट बढ़ने का भी मिलेगा फायदा


    एनबीसीसी के पूर्व एग्जीक्युटिव डायरेक्टर आरके अग्रवाल ने बताया है कि पिछले एक साल में रियल एस्टेट मार्केट में फ्लैटों के रेट में 20-30 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। जो बिल्डर फंसे हैं, उन्हें इस पॉलिसी से हिम्मत मिलेगी कि वे प्रॉजेक्ट को पूरा करने की सोचें। वहीं, जिनके पास अनसोल्ड फ्लैट्स हैं, उन्हें उन्हें बेचकर अच्छा मुनाफा हो सकता है। इसलिए, इस पॉलिसी के लागू होने से रियल एस्टेट मार्केट में सकारात्मक माहौल बनेगा और आने वाले एक साल में इसका इम्पैक्ट दिखने लगेगा। साथ ही, नए खरीदार भी मार्केट में बढ़ सकते हैं।

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